धीरज शर्मा।राजधानी देहरादून में भूकंप के बढ़ते खतरों के बीच मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने नए डिजिटल मास्टर प्लान में दून से गुजर रही भूकंप रेखा से 50 मीटर दूरी तक भवनों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह पहला मौका है, जब दून के मास्टर प्लान में फ्रंटलाइन एरिया को चिह्नित कर निर्माण को रोकने की पैरवी की गई है।इस प्रस्ताव पर शासन ने भी मोहर लगाते हुए 50 मीटर की दूरी को कम करते हुए 30 मीटर पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है।देहरादून भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। यहां पर राजपुर रोड, सहस्त्रधारा और शहंशाही आश्रम से मेन बाउंड्री थ्रस्ट फाल्ट लाइन और मोहंड के आसपास के इलाके से हिमालयन फ्रंट थ्रस्ट फाल्ट लाइन गुजरती है। दून घाटी में 29 अन्य भूकंपीय फाल्ट लाइनें भी हैं। यहां पर बने मकानों पर भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है।इसके मद्देनजर पहली बार एमडीडीए ने फाल्ट लाइन प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को रोकने की तैयारी की है। इन इलाकों में भूकंप रेखा के चारों तरफ 30 मीटर तक निर्माण नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा निकटवर्ती क्षेत्रों में बहुमंजिला भवन बनाने पर भी प्रतिबंध रहेगा। इसका प्रस्ताव चीफ टाउन प्लानिंग विभाग की ओर से शासन में रखा गया। शासन भी इस प्रस्ताव पर सहमत है।मुख्य भूकंप रेखा वाले क्षेत्र ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजर रहीं 29 अन्य भूकंपीय फाल्ट लाइनों के आसपास भी यही नियम लागू रहेगा। एमडीडीए ने इन सभी क्षेत्रों को फ्रंटलाइन एरिया के तौर पर चिह्नित किया है। चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि फ्रंटलाइन एरिया के आसपास 50 मीटर क्षेत्र में निर्माण पर रोक लगाई गई थी। व्यावहारिक कारणों से इसे 30 मीटर किया गया है। इसके अलावा निकटवर्ती क्षेत्रों में अधिकतम तीन मंजिल के मकान बन सकेंगे। आपको बताते चलें कि पृथ्वी की सतह पर एक लंबी दरार है। भूकंप भी आमतौर पर इसी फॉल्ट लाइन के बीच किसी हलचल से आता है। जब प्लेट टकराती हैं तो घर्षण की वजह से ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश करती है। इससे होने वाली हलचल से भूकंप आता है। देहरादून के बीच से यह भूकंप रेखा या फाल्ट लाइन गुजरती है।
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