धीरज शर्मा।हरिद्वार लोकसभा सीट पर उत्तराखंड कांग्रेस में चल रहा कोहरा अब छटता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस हाईकमान व प्रदेश के अन्य नेता पूर्व सीएम हरीश रावत को हरिद्वार से चुनाव लड़ाने पर जुटे हुए थे, अब हरीश रावत ने स्वयं ये बयान दिया है कि उनके पुत्र वीरेन्द्र रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस का चेहरा होंगे।अंततः हरीश रावत अपने पुत्र वीरेन्द्र को हरिद्वार के रण में उतारने में कामयाब रहे। कल शाम जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर आज पूरे दिन भर का कार्यक्रम डाला, जो कि दिल्ली से हरिद्वार होते हुए देहरादून का था। तो राजनितिक गलियारों में चर्चा होने लगी कि हरिद्वार सीट से हरीश रावत ही कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। लेकिन जब कांग्रेस टीम नारसन बॉर्डर पहुंची तो वहां पर कांग्रेस के कार्यकर्त्ता फूल-मालाएं लेकर स्वागत के लिए मौजूद थे और सभी मालाएं हरीश रावत की बदले उनके पुत्र वीरेंद्र रावत के गले में डाली गई।23 मार्च की शाम को हरीश रावत ने ये स्वीकार किया कि वो कांग्रेस के कार्यकर्त्ता के रूप में नारसन के जनसंपर्क में प्रतिभाग कर रहे हैं और कांग्रेस हाईकमान ने बेटे वीरेन्द्र रावत को आशीर्वाद दे दिया है।हरीश रावत, अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आज दिन भर अपनी जगह अपने पुत्र वीरेंद्र रावत को ही आगे किया है। यही नहीं, इस कार्यक्रमों में हरीश रावत एकमात्र कांग्रेसी चेहरा हैं, बाकि कोई भी कांग्रेस नेता हरीश रावत और वीरेन्द्र रावत के साथ नहीं दिखाई दिया। इन सब से यह साफ़ स्पष्ट होता है कि चाहे सर्वसम्मति से न सही, हरिद्वार सीट से हरीश रावत पुत्र वीरेंद्र रावत को ही कांग्रेस का प्रत्याशी बनाना चाहते थे और इस आशय की बातचीत भी दिल्ली से करके आये हैं। जबकि पार्टी ने अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन हरदा ने मीडिया को दिए बयान में ये कहा है कि कांग्रेस ने बेटे वीरेंद्र को आशीर्वाद दे दिया है। कांग्रेस जल्द ही वीरेंद्र सिंह का टिकट फाइनल कर ऐलान कर सकती है।आपको बताते चलें कि भाजपा से त्रिवेंद्र सिंह रावत और निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार हरिद्वार सीट से पहले ही नामांकन करा चुके हैं। कांग्रेस में अभी तक हरिद्वार सीट से हरीश रावत को उठाने की तैयारी थी। पार्टी पर अपने पुत्र वीरेंद्र रावत के लिए लगातार दबाव बनाने में सफल रहे और अब फाइनली हरिद्वार सीट से वीरेंद्र रावत चुनाव लड़ने की तैयारी में दिखने नज़र आ रहे हैं।हरीश रावत अपनी बेटी अनुपमा रावत को चुनावी मैदान में उतारकर राजनितिक प्रवेश दे चुके हैं उन्होंने पूर्व विधानसभा चुनाव में अपनी बेटी को उतरा था और जीत भी हांसिल की थी। इस साल पुत्र को भी राजनीती में प्रवेश देकर अब शायद वो उत्तराखंड की राजनीती से संन्यास ले सकते हैं।
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