धीरज शर्मा
चंद्रशेखर आजाद जिन्हें भारत के निडर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता हैं. आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मप्र के भाबरा नामक गनाव में हुआ था.सबके प्रिय चंद्रशेखर आजाद जिनका मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था, महात्मा गांधी ने उनकी निडरता और साहस को देखकर आजाद उपनाम दिया, आज जिन्हें पूरा देश इसी नाम से जानता हैं.
आजाद के पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था. तिवारी जी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह के गुरु हुआ करते थे. आजाद की स्कूली शिक्षा अपने ही गाँव भाबरा में सम्पन्न हुई. माँ को संस्कृत को बहुत लगाव था अतः उनके कहने पर आजाद को उच्च शिक्षा के लिए बनारस भेजा, जहाँ उन्होंने एक संस्कृत विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की.
महज 15 वर्ष की आयु में ये गांधीजी से प्रभावित होकर भारत के स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े और असहयोग आंदोलन में क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के अपराध में ब्रिटिश पुलिस द्वारा पकड़े गये. मजिस्ट्रेट ने आजाद को सजा के तौर पर 15 कोड़े मारने का आदेश दिया.
इस घटना के बाद आजाद के दिल में भारत की आजादी के प्रति अपार जूनून पैदा हो गया. ये अपने साथियों के साथ 1925 में हुई काकोरी डकैती में शामिल हुए. इन्होने और भगत सिंह ने मिलकर एक ख़ुफ़िया संगठन बनाया. जब 1928 में लाहौर में लाला लाजपत राय की पुलिस द्वारा हत्या कर दी गई तो आजाद ने इसका प्रतिशोध लेने का निश्चय किया और जॉन सोल्ड्रस की हत्या कर लालाजी की हत्या का बदला पूरा किया.
इसी हत्या के आरोप में अंग्रेज पुलिस वर्षों तक आजाद की तलाश करती रही और अन्तः किसी देशद्रोही की सूचना पर 27 फरवरी 1931 को बनारस के अल्फ्रेड पार्क में आजाद को पुलिस ने घेरकर गोलीबारी शुरू कर दी. आजाद ने अपने साथियों को किसी तरह बचाकर पार्क से बाहर निकाल दिया और अकेले लड़ते रहे. अंत में जब उनके पास एक ही गोली बची तो उन्होंने अंग्रेजों के हाथों न पकड़े जाने के वचन की पालना में स्वयं को गोली मारकर शहीद कर दिया. इस तरह एक महान वीर ने भारत की आजादी की खातिर स्वयं की आहुति दे दी.