
धीरज शर्मा।उत्तराखंड सरकार ने बीते 2 दिन पहले उत्तराखंड के 17 स्थानों का नाम बदलकर नया नामकरण किया। इस कदम के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कई लोगों ने धन्यवाद भी किया।लेकिन राजधानी देहरादून के मियांवाला का नाम बदले जाने पर मियांवाला के लोग खुश नहीं हैं।उन्होंने सरकार से मियांवाला जगह का नाम न बदलने की गुजारिश करते हुए इसके पीछे तर्क दिया है कि मियां किसी धर्म विशेष या विशेष समुदाय का नहीं, उत्तराखंड के ही पहाड़ी मूल के राजपूत से जुड़ा उपनाम है।मियांवाला के रहने वाले दीपेंद्र चौधरी कहते हैं कि कुछ लोग जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहे हैं। वह हमारे पूर्वजों और हमारी इस धरोहर को बदनाम कर रहे हैं। कुछ लोगों को लगता है कि मियांवाला इस्लामी नाम है।जबकि ऐसा नहीं है. यह हमारे पूर्वजों का उपनाम है। यह नाम गुरु राम राय से भी पहले का है।यहां पर हमारे पूर्वज ही रहा करते थे।आज भी हम लोग यहीं पर रहते हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी राजनीति के चक्कर में हमारा नाम और हमारा अस्तित्व मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे घर, परिवार, खेत-खलियान,चौक-चौराहे सभी मियांवाला के नाम से प्रसिद्ध हैं और इसका नाम बदलना बेहद गलत है। वहीं लोगों का कहना है कि इस नाम को बदलने से पहले कोई जनमत या किसी स्थानीय व्यक्ति से नहीं पूछा गया।यहां पर अगर किसी से पूछा जाता तो उन्हें यह मालूम होता।मियांवाला निवासी सोम प्रकाश का कहना हैं कि सरकार को पहले इसका इतिहास पढ़ना चाहिए था। साल 1676 में यह गांव अस्तित्व में आया था।1717 से लेकर 1772 तक प्रदीप शाह के शासन के दौरान भी यहां पर मियां लोग रहते थे।पुरानी किताबों में भी इसका जिक्र मिल जाएगा।लेकिन अब इसका नाम बदलकर इस स्थान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं स्थानीय युवा लोग भी चाहते हैं कि अगर मियांवाला का नाम बदलना है तो लोगों से बातचीत की जाए और उसके बाद इस नाम का परिवर्तन किया जाए। सभी स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी देहरादून को भी इस बाबत एक ज्ञापन देते हुए मांग की है कि पुराने स्वरूप और पुराने नाम को ना छेड़ा जाए।