सिद्धार्थ त्रिपाठी। उत्तराकाशी जिले में एक बाल विवाह का मामला सामने आया है। मामला डुंडा तहसील के टिपरा कुमार कोट गांव का है। यहां जिस लड़की की शादी कराई जा रही थी, उस नाबालिग लड़की की मां गांव की आशा कार्यकर्ता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बाल कल्याण समिति व चाइल्ड हेल्प लाइन की ओर से प्रत्येक गांव में बाल कल्याण समिति का गठन किया जाता है जिसका अध्यक्ष ग्राम प्रधान होता है। इसके अलावा समिति में गांव की आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, वार्ड सदस्य, महिला मंगल दल के अध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, ए.एन.एम. आदि करीब 8 से 10 सदस्य होते हैं। इन सभी की जिम्मेदारी गांव में बच्चों के साथ हो रहे अपराध, यौन शोषण, बाल विवाह की सूचना प्रशासन को देने के साथ ही इन्हें रोकने के प्रयास करने की होती है लेकिन टिपरा गांव में आशा कार्यकर्ता ही अपनी नाबालिग बेटी की शादी पहले मंदिर में करवाई। इसके बाद जब गांव में बरात आने वाली थी तक पुलिस प्रशासन ने यह शादी रुकवा दिया। मगर ऐसे मामलों में अब इन समितियों पर सवाल उठ रहे हैं। नाबालिग की शादी कराने के लिए उसके जन्म प्रमाणपत्र सहित कई अन्य दस्तावेजों में फेरबदल किया गया था। बीते वर्ष नवंबर माह में नाबालिग का जन्म प्रमाणपत्र हरिद्वार के चैनराय महिला चिकित्सालय में बनाया गया है जिसमें नाबालिग की जन्म तिथि 12 फरवरी 2003 अंकित है। जबकि शादी के पंजीकरण के लिए सब रजिस्टार कार्यालय में जमा परिवार रजिस्टर की नकल में नाबालिग की जन्म तिथि 1 जनवरी 1998 अंकित है। विद्यालयी अभिलेखों में नाबालिग की जन्म तिथि 19 फरवरी 2007 है जिसके आधार पर इसकी उम्र 16 साल 18 दिन है।नाबालिग की शादी बीते वर्ष दिसंबर माह में शहर के ही एक मंदिर में कराई गई थी। शादी का पंजीकरण सब रजिस्ट्रार कार्यालय में भी कराया गया था जिसके लिए यहां सभी औपचारिकताएं पूर्ण की गई थीं। मगर यहां जमा कराए दस्तावेजों में अंकित जन्म तिथि अलग-अलग थी जिस पर सब रजिस्ट्रार कार्यालय व औपचारिकताएं पूर्ण कराने वाले वकील ने भी ध्यान नहीं दिया। आपको बता दें कि जनपद उत्तरकाशी में वर्ष 2016 से अब तक बाल विवाह के 9 मामले आए हैं जिन्हें चाइल्ड हेल्पलाइन की मदद से प्रशासन ने रुकवाया है। वर्ष 2016 में 2 वर्ष 2017 में 2, वर्ष 2018 में 1, वर्ष 2020 में 1, वर्ष 2021 में 2 व वर्ष 2022 में अभी तक 1 मामला सामने आया है जिसमें ब्लॉक डुंडा, चिन्यालीसौड़ व भटवाड़ी के तीन-तीन मामले शामिल हैं। कई मामलों में स्वयं नाबालिगों ने चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन कर उनकी शादी कराने की सूचना दी थी। चाइल्ड हेल्पलाइन के कार्यक्रम समन्वयक दीपक उप्पल ने बताया कि ऐसे मामलों में स्थानीय लोगों का सहयोग महत्वपूर्ण होता है लेकिन स्थानीय का अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल पाता है। डी.एम. उत्तरकाशी अभिषेक रूहेला का कहना है कि सभी दस्तावेजों की जांच कराई जाएगी। जिस अस्पताल से जन्म प्रमाण पत्र लिया गया है। वहां से भी जानकारी जुटाई जाएगी। गलत प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कार्रवाई होगी।
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