धीरज शर्मा
हरिद्वार की उप नगरी कनखल स्थित काल भैरव मंदिर आश्रम कनखल में श्रद्धालु भक्तों ने मंदिर के अध्यक्ष महंत कौशलपुरी के सानिध्य में श्रद्धा भक्ति के साथ भैरव जयंती मनायी। भैरव मन्दिर के महंत कौशलपुरी के सानिध्य में श्रद्धालु भक्तों ने भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। हजारों की संख्या में पूजा अर्चना में शामिल होकर सभी के लिए मंगल कामना की।त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति महंत कौशलपुरी महाराज ने कहा कि सदैव समाज कल्याण के लिए प्रयासरत रहने वाले संत महापुरुषों के सानिध्य में ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति महंत कौशलपुरी महाराज समाज के प्रेरणा स्रोत हैं। महंत कौशलपुरी महाराज ने बताया कि पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव सती का देह लेकर ब्रह्माण्ड में विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के अंग पृथ्वी पर गिराए, जिनसे 108 शक्ति पीठों की स्थापना हुई। इन पीठों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने प्रत्येक स्थान पर एक भैरव को नियुक्त किया। इसी कारण भैरव जी को देवी का द्वारपाल और रक्षक कहा जाता है। उनके प्रमुख स्वरूपों में बटुक भैरव, काल भैरव, चण्ड भैरव और कपाल भैरव सम्मिलित हैं। इनमें से काल भैरव को समय और मृत्यु का स्वामी माना गया है। एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने अंधकासुर से युद्ध किया, तब उनके शरीर से बहते रक्त से अनेक भैरव उत्पन्न हुए। पूर्व दिशा में गिरे रक्त से प्रकट हुए काल भैरव कहलाए। वहीं बटुक भैरव का स्वरूप सौम्य और बालकवत है। जब आपाद नामक राक्षस ने पाँच वर्षीय बालक से मरने का वरदान माँगा, तब देवी महाकाली की कृपा से बटुक भैरव का जन्म हुआ, जिन्होंने उस राक्षस का संहार किया। इसी प्रकार भैरव जी से संबंधित अनेक कथाओं का विवरण विभिन्न ग्रंथों में प्राप्त होता है।भैरव अष्टमी, जिसे काल भैरव जयंती भी कहा जाता है, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह वही पावन दिन है जब भगवान शिव ने काल भैरव रूप धारण किया था। इस दिन विशेष रूप से काल भैरव की पूजा, रात्रि-जागरण, दीपदान और कथा-पाठ का आयोजन किया जाता है। भक्त प्रातः स्नान कर, काले तिल, सरसों के तेल का दीपक जलाकर, कुत्तों को भोजन कराते हैं और भैरव जी का ध्यान करते हैं। भैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरव की उपासना से जीवन के सभी भय, बाधाएं और ग्रहदोष दूर होते हैं।सभी को भगवान भैरव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भय का हरण कर अभय प्रदान करने वाले भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करने से सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के उत्थान में युवाओं को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। इस अवसर पर साधु संत, अमित गौतम,रामसागर, संजय चौहान,नितिन माणा, सुनील गुड्डू, दीपक मणि, लक्की वालिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
