
धीरज शर्मा।उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए ।बीते रोज वैदिक परंपरा के तहत पंज पूजा के चौथे दिन मां लक्ष्मी की पूजा,कढ़ाई के प्रसाद भोग के साथ देवी लक्ष्मी से बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने की प्रार्थना की गई थी।आज ब्रह्म मुहुर्त में सुबह 4 बजे मंदिर खुलने के साथ ही रोज की तरह साढ़े चार बजे से अभिषेक पूजा हुई और दिन का भोग लगा। दिनभर मंदिर खुला रहा। आज शाम 6 बजकर 45 मिनट पर कपाट बंद करने की पूजा शुरू होने करीब एक घंटे बाद यानी 7 बजकर 45 मिनट पर मंदिर के मुख्य पुजारी ने माता लक्ष्मी जी को मंदिर परिसर में प्रवेश कराया। रात 8 बजकर 10 मिनट पर शयन आरती के बाद और इसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू होने पर रात 9 बजे तक भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंडल की ओर से तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया गया और अखंड ज्योति जलाकर ठीक 9 बजकर 07 मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर परिसर में महिला मंगल दल बामणी और पांडुकेश्वर की महिलाओं ने लोकगीत व नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी। महिलाओं ने मांगल गीत भी गाए। इस दौरान सेना व श्रद्धालुओं की ओर से जगह-जगह भंडारे का आयोजन भी किया गया।बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा भी संपन्न हो गई है। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सकुशल यात्रा संपन्न होने पर बदरीनाथ यात्रा से जुड़े सभी विभागों, संस्थाओं, पुलिस प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ सहित मंदिर समिति के अधिकारियों व कर्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में इस वर्ष चारधाम यात्रा में 48 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे। यह चारधाम यात्रा में सर्वाधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का रिकॉर्ड भी है। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम में इस यात्रा वर्ष सवा चौदह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि केदारनाथ में श्रद्धालुओं की संख्या साढ़े सोलह लाख रही। मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में चारों धामों के विकास का रोड मैप धरातल पर उतारा जा रहा है। बदरीनाथ मास्टर प्लान का कार्य भी प्रगति पर है। उद्धव, कुबेर व आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार सुबह पांडुकेश्वर के योग बदरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। कुबेर व उद्धव की मूर्तियों को योग बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान किया जाएगा। अगले दिन आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी।आपको बताते चलें कि बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की परंपरा के अनुसार रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करते हैं। पुजारी स्त्री भेष इसलिए धारण करते हैं कि लक्ष्मी जी की सखी के रुप में उन्हें गर्भगृह तक लाया जा सके।मान्यता है कि शीतकाल में बदरीनाथ धाम में देवताओं की ओर से मुख्य अर्चक नारद जी होते हैं।उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ बद्रीनाथ सहित सभी शीतकाल के लिए बंद हो रहे हैं।गंगोत्री मां गंगा को समर्पित है, सबसे पहले 2 नवंबर को बंद हुआ। इसके बाद यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट 3 नवंबर को भाई दूज के दिन बंद किए गए थे।यह 2024 की तीर्थयात्रा का समापन है।इस मौके पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय, कोटद्वार विधायक दिलीप रावत, ज्योतिर्मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, मंदिर समिति के सदस्य वीरेंद्र असवाल, पुष्कर जोशी, भास्कर डिमरी, एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी के साथ ही हक-हकूकधारी मौजूद रहे।