धीरज शर्मा।हरिद्वार में चली विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक कांवड़ यात्रा बीती 11 जुलाई से प्रारंभ होकर श्रावण मास की शिवरात्रि बिना किसी बाधा के संपन्न हो गई। लेकिन गंगा जल भरने आए शिवभक्तों द्वारा छोड़े गए हजारों टन कूड़े का निस्तारण कर शहर को फिर से साफ-सुथरा बनाना प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बन गई है। एक अनुमान के अनुसार, हरिद्वार क्षेत्र में ही लगभग 8 से10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जमा हो गया है और अगर सही तरीके से सफाई अभियान चलाया जाए तो इसके निस्तारण मे काफी समय लग जाएगा।
प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि इस साल साढ़े चार करोड़ से अधिक कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए हरिद्वार पहुंचे। हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि कांवड़ यात्रा में रोजाना लाखों की संख्या में पैदल और वाहनों से कांवड़िए हरिद्वार पहुंच रहे थे और ऐसे में सफाईकर्मियों के लिए क्षेत्र में कूड़ा वाहन लेकर जाना संभव नहीं हो पा रहा था। उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसे क्षेत्रों में नियमित सफाई नहीं हो पा रही थी लेकिन जिन क्षेत्रों में सफाईकर्मी जा पा रहे थे, वहां सफाई का काम निरंतर चलता रहा।
हरिद्वार नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने बताया कि हरिद्वार में लगातार 15 दिन तक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की वजह से सफाई व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी जिसे हमने पूरा किया।हालांकि, उन्होंने माना कि इससे भी बड़ी चुनौती कांवड़ यात्रा संपन्न होने के बाद सफाई की है। उन्होंने बताया कि अभी तक निगम क्षेत्र में करीब 8 से 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र होने का अनुमान है। नगर आयुक्त बताया कि कांवड़ यात्रियों की भीड़ के चलते अपर रोड, मोती बाजार, बड़ा बाजार, अलकनंदा से पंतद्वीप घाट तक कूड़ा वाहनों के संचालन में दिक्कतें पेश आई। हालांकि विभिन्न घाटों पर जमा कूड़े के ढेर को यथासंभव समेटा जा रहा है। हरकी पैड़ी क्षेत्र से बड़ी मात्रा में कूड़ा उठाया गया है। कूड़ा उठान का कार्य लगातार जारी है। रात के वक्त कूड़े का उठान कराया जाएगा। शहर को दोबारा पहले जैसी स्थिति में आने में दो से तीन दिन वक्त लगेगा। कीटनाशकों का छिड़काव भी कराया जा रहा है।नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने कहा कि कांवड़ मेला संपन्न होने के साथ ही नगर क्षेत्र में सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में नगरीय सड़कों और गंगा के घाटों की सफाई कराई जा रही है जिसे तीन दिन के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि इसके बाद पार्किंग सहित अंदरूनी क्षेत्रों की सफाई युद्ध स्तर पर की जाएगी। उन्होंने बताया कि नगर निगम क्षेत्र में एक हजार सफाई कर्मी इस काम में लगाए गए है।हरिद्वार में प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित है, लेकिन कांवड़ियों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है, जिससे सफाई में और भी मुश्किलें आती हैं। उन्होंने बताया कि चार नोडल अधिकारी के अलावा 11 मुख्य सफाई निरीक्षकों को नियुक्त किया गया है। जिन्हें अलग-अलग घाटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सफाई कार्य में 15 ट्रैक्टर ट्रालियां, तीन लोडर, तीन टिपर और आठ सीएनजी वाहन तैनात किए गए हैं। हरकी पैड़ी क्षेत्र से बड़ी मात्रा में कूड़ा उठाया गया है। कूड़ा उठान का कार्य लगातार जारी है। इसमें प्लास्टिक समेत अन्य गंदगी भी शामिल है।
आपको बताते चलें कि हरिद्वार आने वाले अधिकांश कांवड़िए मुख्य स्नान घाट हरकी पौड़ी से ही गंगा जल भरते हैं। हर की पैड़ी का प्रबंध देखने वाली संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया कि हर की पैड़ी में सबसे बड़ी समस्या प्लास्टिक का कचरा है जिसे कांवड़िए छोड़ कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें बैग, पॉलीथिन, प्लास्टिक के गिलास, कप और बिछाने के काम आने वाली प्लास्टिक की चादरें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन के साथ ही गंगा सभा भी सफाई व्यवस्था में लगी हुई है जहां उसके कर्मचारी भी घाटों की धुलाई कर रहे हैं।
कांवड़ मेला क्षेत्र में गंदगी की एक बड़ी वजह स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ निजी लोगों द्वारा कांवड़ियों के लिए लगाए जाने वाले शिविर भी हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जगह-जगह लगने वाले भंडारे, शरबत आदि के स्टॉल में इस्तेमाल होने वाले समान को कांवड़िए सड़कों पर ही छोड़ कर चले जाते हैं, जिससे सड़कों पर गंदगी फैलती रहती है।
