धीरज शर्मा।हरिद्वार संसदीय सीट पर बीते तीन साल से राजनीतिक हाशिए पर रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान पर उतारा है। हरिद्वार सीट भाजपा को इन लोकसभा चुनावों में मोदी मैजिक का साथ मिलने के साथ भाजपा प्रत्याशी की चुनौतियां कम नहीं हैं।त्रिवेंद्र सिंह रावत 3 साल बाद सक्रिय राजनीति में वापस आए हैं।मुख्यमंत्री पद से अचानक हटाए जाने के बाद से ही वे हाशिए पर थे। किन्तु इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली डोईवाला विधानसभा से विधायक और मंत्री के साथ-साथ मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर चुके हैं।हरिद्वार में त्रिवेंद्र सिंह के सामने कुछ बड़े मुद्दे राह में रोड़े हैं।कांग्रेस द्वारा लगातार उठाया जा रहा प्रमुख मुद्दा गन्ना किसानों के भुगतानों का है।इस लोक सभा सीट पर तराई के इलाकों में किसानों की अच्छी खासी तादाद है।ऐसे में किसान लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि किसानों का गन्ना भुगतान सरकार जल्द से जल्द कर दे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।ऐसे में कांग्रेस पार्टी तराई के इलाके में गन्ना मुद्दा उठाएगी।इसके साथ ही तराई के इलाके में बाढ़ भी इस बार बड़ा मुद्दा है। बीते मानसून में लक्सर मंगलौर खानपुर और निचले इलाकों बाढ़ से सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य करने के बाद भी यहां के लोगों में नाराजगी है।ये नाराजगी जनप्रतिनिधियों के प्रति है।जिसका खामियाजा इस लोकसभा चुनाव में त्रिवेंद्र को भुगतना पड़ सकता है। इसके साथ ही हरिद्वार विधानसभा क्षेत्र में बीते दिनों हरिद्वार कॉरिडोर को लेकर जिस तरह से व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने आवाज उठाई है वह सरकार और प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। इस मुद्दों को हरीश रावत के साथ-साथ स्थानीय कांग्रेस के नेता और विधायक उमेश कुमार भी उठाते रहे हैं। ऐसे में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।इसके साथ ही खानपुर के विधायक उमेश कुमार भी भाजपा के लिए मुसीबत बनेंगे। आपको बताते चलें कि आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार धर्मनगरी और हिंदु सीट होने के बावजूद यहां पर मुस्लिम आबादी 35% है। 11 विधानसभा हरिद्वार लोकसभा सीट में आते हैं।जिसमें हरिद्वार शहर, रानीपुर, ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलौर और लक्सर में अच्छी खासी तादाद मुस्लिम वोटर की है।2019 चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार हरिद्वार सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं।आंकड़ों के मुताबिक यहां पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 88 हजार 328 है।महिला वोटर्स की संख्या 7लाख54 हजार 545 है। यहां 2014 में 71.02 फीसदी वोटिंग हुई।2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 24 लाख 5 हजार 753 थी।यहां की लगभग 60% आबादी गांवों में रहती है। 40 फीसदी जनसंख्या शहरों में रहती है। इस इलाके में अनुसूचित जाति की 19.23 फीसदी है। परिणाम भविष्य के गर्भ में है।
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