
धीरज शर्मा. हरिद्वार चुनाव के लिए मतगणना का काउंटडाउन शुरू होने के साथ ही सियासी चर्चा फिर शुरू हो गई है। कौन जीतेगा कौन हारेगा इस पर कुछ लोगों के बीच शर्त तक लग रही है।
उत्तराखंड में चौदह फरवरी को मतदान हो चुका है। उसके बाद चुनाव में हार-जीत को लेकर अपने-अपने दावे चलते रहे। मतदान और मतगणना के बीच लंबा समय रहा, लिहाजा कुछ दिन हार-जीत को लेकर चर्चा के बाद इस पर विराम लग गया। दस मार्च को चुनाव वाले सभी पांच राज्यों में मतगणना होनी है। हार-जीत को लेकर जो कयास-चर्चा थम गई थी वह मार्च आने के साथ फिर से शुरू हो गई है। नुक्कड़ों से लेकर अन्य जगह खड़े लोग फिर इस पर चर्चा करने लगे। शुरुआत में जिन सीटों पर किसी को जीता हुआ तो किसी को हारा हुआ बताने के बाद चर्चाओं में शामिल लोगों के कुछ समीकरण भी बदले हैं। बूथों पर हुए मतदान के आधार पर हार-जीत के दावे किए जा रहे हैं। कुछ सीटों पर कड़े मुकाबले की बात मतदान प्रतिशत और बूथ वाइज मिले आंकड़ों के अनुसार कही जा रही है। सियासी दल पहले ही अपने-अपने विश्लेषण के हिसाब से दावे कर रहे हैं। हर सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी के बारे में चर्चा के साथ ही प्रदेश में किसकी सरकार बन रही है यह भी चर्चाओं में शामिल है। अब दस मार्च तक को चुनाव परिणाम आने तक चर्चाओं के दौर चलते रहेंगे।कौन हारेगा कौन जीतेगा सरकार किसकी बनेगी परिणाम अभी भविष्य के गर्भ में है।