धीरज शर्मा। हरिद्वार में प्रस्तावित कोरिडोर हेतु जिला प्रशासन रात के अंधेरे में सारे काम कर रहा है। हरिद्वार की जनता को अंधेरे में रख इस योजना को सिरे चढ़ाने की तैयारी है। एक और प्रशासन बैठक कर सर्वसम्मति बनाने की बात करते हुए सभी के हित की बात कहता है लेकिन रात के अंधेरे में मनमानी पर उतारू है। आपको बताते चलें कि बीते दिनों श्री गंगा सभा हरिद्वार के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर हरिद्वार कॉरिडोर में आने वाली समस्याओं एवं उसके निवारण हेतु कुछ महत्वपूर्ण विचारणीय प्रश्नों को प्रधानमंत्री के सम्मुख रख अपनी राय एवं सुझाव देते हुए उसके निराकरण किये जाने की मांग की है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए ज्ञापन में नम्र निवेदन करते हुए श्री गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने कहा क्या हरिद्वार में कॉरिडोर निर्माण ही एकमात्र विकल्प है ? माननीय प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन में पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने धर्मनगरी हरिद्वार के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि हरिद्वार का पौराणिक महत्व हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में अविरल प्रवाहित श्री गंगा जी से है,हरिद्वार में हजारों तीर्थ पुरोहित अनादि काल से निवास करते आ रहे हैं एवं हर की पौड़ी एवं कुशा घाट के निकट इनकी गदिदया हैं, जहां पर देश-विदेश के तीर्थ यात्री यजमान आकर अपने पूर्वजों का पितृ कर्म करवाते हैं, जो के कॉरिडोर बनने से बिल्कुल उजड़ जाएंगे। जिस कारण आने वाले तीर्थ यात्रियों को भी अपने पितृ कर्म करवाने हेतु भटकना पड़ेगा जो कि अनुचित होगा। एक और रेलवे लाइन दूसरी और कहीं-कहीं 500 मीटर की दूरी से भी कम दूरी पर अविरल प्रवाहित श्री गंगा जी क्या ऐसे में कॉरिडोर बनाना संभव होगा ?126 वर्ष पुरानी ब्रिटिश सरकार के समय की बनी हुई रेलवे सुरंग है, जिसमें से रेल हरिद्वार से ऋषिकेश व देहरादून जाती है यह सुरंग रेतीले कच्चे पहाड़ के नीचे बनी है क्या इसको भी हटाया / विस्तारित किया जाना संभव होगा ?क्या कॉरिडोर बनाने की परिधि में आ रही रेलवे लाइन व मां गंगा जी की युगों से प्रवाहित धारा को रोककर अन्यत्र शिफ्ट करना धार्मिक /भौगोलिक दृष्टि से उचित होगा ?क्या सैकड़ो वर्ष प्राचीन धरोहर मंदिर आश्रम धर्मशालाओं को हटाना पुरातत्व धरोहर से खिलवाड़ उचित होगा ?क्या हर की पौड़ी पर असीमित श्रद्धालुओं के स्नान के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है ?क्या हर की पौड़ी के प्राचीन स्वरूप को छुए बिना स्नान घाटों को विस्तारित किया जा सकता है ? अगर नहीं तो ऐसी स्थिति में क्या निम्न सुझावों पर विचार भी ना किया जाना न्यायोचित होगा ?इन यक्ष प्रश्नों पर गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने कहा विचारणीय है कि वाराणसी में छोटी-छोटी गलियां होने एवं मां गंगा जी के घाटों से मंदिर तक आवागमन की सुविधा न होने के कारण कॉरिडोर आवश्यक था जबकि हरिद्वार में हर की पौड़ी पर आने के लिए पूर्व से ही निम्न मार्ग चले आते हैं जिनमें अपर रोड मोती बाजार बड़ा बाजार सुभाष घाट रोडी बेल वाला से हर की पौड़ी तक लोहे से बने चार सेतु सीसीआर से हर की पौड़ी तक आने वाला शिव सेतु सीसीआर से आने वाला शताब्दी सेतु भीमगोडा से हर की पौड़ी मुख्य मार्ग अर्धकुंभ 2004 में जयराम आश्रम से कांगड़ा घाट होते हुए हर की पौड़ी तक निर्मित घाट एवं पंतदीप से मालवीय दीप घंटाघर हर की पौड़ी पर बने सेतु प्रमुख बातों को प्रमुखता से रखा इसके साथ ही उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी को उक्त के परिपेक्ष में उनके समक्ष कुछ निम्न सुझाव प्रस्तुत किये जिनमें मालवीय दीप का विस्तार पंत दीप तक कराया जाकर गंगा जी के दोनों और घाटों का निर्माण किया जाए पूर्व निर्मित पंत दीप से मालवीय दीप तक बने पुल को हटा दिया जाए ऐसा करने से निर्विरोध आवागमन हो सकेगा,न्यू सप्लाई चैनल एनएससी से हर की पौड़ी तक आ रहे गंगाजल की होने वाली कमी को दूर करने के लिए उसके स्थान पर शमशान घाट खड़खड़ी के आगे से आ रही पुरानी अविच्छिन्न धारा 0SC से जलापूर्ति की मात्रा बढ़ाकर 40 – 50 पूर्व की भांति की जाए, मालवीय दीप पर आरती दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ाने के एक डबल स्टोरी कवर्ड दर्शनीय स्थल बनकर बैठने की व्यवस्था की जाए ऐसा होने से आरती दर्शन के दर्शनार्थियों की संख्या दोगुनी से अधिक हो जाएगी साथ ही मालवीय दीप में भी धूप से यात्रियों का बचाव हो सकेगा,2004 अर्ध कुंभ मेले की उच्च स्तरीय मेला कमेटी में दिए गए सुझाव हर की पौड़ी से मायापुर तक बने भवनों के आगे से होते हुए एक घाट निर्मित किया जाए घाट निर्माण होने से जयराम आश्रम से कांगड़ा मंदिर हर की पौड़ी तक बने घाट की भांति स्नानार्थियों को मायापुर से हर की पौड़ी तक आवागमन की सुविधा के साथ-साथ लंबे चौड़े बनने वाले घाटों पर स्नान की सुविधा भी प्राप्त होती रहेगी जिस कारण मेले / पर्व के समय हर की पौड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ से दुर्घटना की संभावना भी समाप्त होगी निश्चित है,मनसा देवी से सीधे चंडी देवी तक रोपवे निर्माण किया जाए जिससे शहर में जहां एक और वाहनों के जाम से मुक्ति मिलेगी वहीं दूसरी ओर दोनों मंदिरों के मध्य किसी अनुकूल स्थान पर एक रोपवे स्टेशन बनाया जाए जहां से वाहनों द्वारा आने वाले सुरक्षित रूप से दोनों मंदिरों तक आवागमन की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे इसके बनने से शहर को जाम से मुक्ति मिल सकती है, हर की पौड़ी से वापसी अपर रोड मोती बाजार एवं भीमगोडा मुख्य मार्ग से की जाए ऐसा होने से किसी भी व्यापारी का व्यापार भी प्रभावित नहीं होगा साथ ही स्नान के पश्चात इन मार्गो से वापसी होने से गर्मी के मौसम में श्रद्धालुओं का धूप आदि से भी बचाव हो सकेगा पत्र के अंत में माननीय प्रधानमंत्री के सम्मुख अपना सुझाव रखते हुए उन्होंने कहा इन कार्यों की लागत भी निश्चित रूप से कॉरिडोर पर आने वाले मुआवजा / निर्माण आदि की लागत से भी बहुत काम आएगी एवं हजारों लोग विस्थापित / बेरोजगार होने से बच जाएंगे इस संबंध में पत्र की प्रतिलिपि पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार देहरादून को भी प्रेषित की है।
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