धीरज शर्मा।लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनाव आयोग आज तारीखों का ऐलान करेगा। इसी के साथ ही देश में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी।चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही स्वत: आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके लागू होने के बाद किसी भी तरह की चुनावी घोषणाओं पर प्रतिबंध लग जाता है। इसका मकसद साफ है कि किसी भी तरह से मतदाता को प्रभावित नहीं किया जा सकता है।सामान्य भाषा में इसे आचार संहिता को ऐसे समझा जा सकता है कि यह निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने का एक उपाय है।चुनाव आयोग इस हथियार से चुनावी प्रक्रिया में शामिल सभी घटकों पर नजर रखता है। इसके तहत किसी मतदाता को प्रभावित करने से रोकने का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से यह लागू हो जाती है और चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद खत्म हो जाती है।इस दौरान किसी भी राजनीतिक दल, नेता, उम्मीदवार या अन्य के द्वारा मतदाताओं को प्रभावित नहीं किया जा सकता है।ऐसा करते हुए पाए जाने पर संबंधित दल, व्यक्ति, संगठन व अन्य के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। आपको बताते चलें कि चुनाव आचार संहिता की शुरुआत केरल विधान सभा चुनाव वर्ष 1960 में प्रशासन ने आचार संहिता बनाने का प्रयास किया था। परन्तु चुनाव आयोग ने पहली बार 1968 में आचार संहिता को लागू किया। इसके बाद इसे साल 1979, 1982 और 2013 में संशोधित किया गया।आचार संहिता के लागू होते ही सरकारी किसी भी योजना की घोषणा नहीं कर सकती है। पार्षद से लेकर केंद्रीय मंत्री या प्रधानमंत्री तक किसी भी तरह के विकास कार्यों संबंधी योजनाओं की घोषणा नहीं कर सकते हैं।ऐसे विकास कार्य जो आचार संहिता लागू होने से पहले शुरू हो गए वो जारी रहेंगे। इसके साथ ही केंद्र सकार से लेकर राज्य के किसी भी अधिकारियों के तबादले रूक जाते हैं।चुनावी प्रक्रिया के दौरान सरकारी तंत्र चुनाव आयोग के अधीन होता है। ऐसे में किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता है।आपात स्थिति में तबादला करना भी होता है तो इसकी अनुमति चुनाव आयोग से लेनी होती है और आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव प्रचार के नियम सख्त हो जाते हैं।इस दौरान ऐसी किसी भी गतिविधि पर रोक लग जाती है जिससे किसी धार्मिक साधनों का उपयोग किया जाता है।इस दौरान मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद या किसी अन्य धार्मिक स्थल से चुनाव प्रचार की इजाजत नहीं होती है।प्रचार अभियान के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले साधनों का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना पड़ता है। प्रचार अभियान की समय सीमा निर्धारित कर दी जाती है।सामान्य रूप से रात 10 बजे के बाद ऊंची आवाज में गाना-बाजा बजाने पर प्रतिबंध लग जाता है।सरकारी संसाधनों के इस्तेमाल पर रोक लग जाती है।केवल चुनाव आयोग की अनुमति से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी के साथ आचार संहिता लागू होने के बाद नेताओं के बयानों पर विशेष निगरानी की जाती है।ऐसे किसी बयान पर रोक होती जिससे किसी मतदाता को प्रभावित करने के साथ ही समाज में नफरत फैलाने वाले बयान या फिर धार्मिक भावनाओं से जुड़े सख्ती होती है।चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव आयोग पूरी तरह एक्टिव हो जाता है। पूरा सरकारी तंत्र चुनाव आयोग के अधीन हो जाता है।चुनाव आयोग के निर्देश पर अधिकारी काम करते हैं। गौरतलब है कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे मामले पाए जाने पर किसी दल, उम्मीदवार के खिलाफ सख्ती से निपटने के उपाय हैं।इसके तहत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम प्रयोग में लाए जाने के साथ भारतीय दंड संहिता का भी उपयोग किया जा सकता है।
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