हरिद्वार। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि उत्तराखंड माफ़ियाओं का अड्डा हो गया है | खनन माफिया यहाँ पूर्ण रूप से सक्रिय हैं | मुख्यमंत्री धामी पूर्व से ही खनन के गलत धंधे में स्वामी यतिश्वरानंद के साथ लिप्त थे | अभी मुख्यमंत्री हैं तो खनन की नीति ही ऐसी बना दी गयी है कि माफ़ियाओं को खुलेआम लूटने की छूट है |
मातृ सदन आश्रम में पत्रकार वार्ता के दौरान स्वामी शिवानंद ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावतका भी यही एप्रोच था | वे केंद्र तक लड़ने के लिए चले जाते थे कि खनन खोलो | राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन पर दबाव बनाया जा रहा है | लेकिन इधर एक महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट आई है जोकि उत्तराखंड विधानसभा के पटल पर भी रखी गई है जिसमें कि स्पष्ट है कि CAG ने देहरादून के कुछ क्षेत्रों में ड्रोन से निरिक्षण किया और जांच के द्वारा पाया कि घोर अनियमितताएं थी और वे अनियमितताएं लॉक डाउन के समय में भी थीं | उस वक़्त हरिद्वार में भी यही स्थिति थी | हरिद्वार को नहीं चुना गया क्यूंकि यहाँ के माफ़िया बहुत प्रभावी हैं | CAG ने यदि यहाँ निरिक्षण किया होता तो और भी कई गुना घोटाला सामने आता | स्वामी शिवानंद ने कहा कि उत्तराखंड वन विकास निगम ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आदेश की अवहेलना करते हुए 2020-22 में गंगाजी में खनन किया | इसमें भ्रष्ट अधिकारी श्री आर मिनाक्षी सुन्दरम जी (औद्योगिक सचिव) ने हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी श्री सी रविशंकर के साथ मिलकर बंद पड़े खनन को खुलवा दिया और इस खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) नहीं थी, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का 9 अक्तूबर 2018 का आदेश भी लागू था जिससे खनन प्रतिबंधित था | इतना ही नहीं, पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) ने जो EC दिया था उसमें स्पष्ट कह दिया था कि जिस क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का आदेश binding है वहां पर खनन नहीं होगा | जब यह बात माननीय उच्च न्यायालय में सुनी जा रही थी तब राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय से भी पुछा जाए कि खनन किस आधार पर किया जा रहा है | तब पर्यावरण मंत्रालय ने यह स्पष्ट कह दिया कि हमने तो खनन के लिए कहा ही नहीं है | उन्होनें यह भी कहा कि हमने अपने स्वीकृति में यह शर्त लगा दी थी कि प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन नहीं होगा और यह जो भी खनन हो रहा है यह EC के विरुद्ध हो रहा है जिसके लिए उत्तराखंड सरकार उत्तरदायी है क्यूंकि खनन का विनियमन करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है | 4 खनन लॉट हैं जिसके बारे में पर्यावरण मंत्रालय ने लिखित में यह दिया है कि बिशनपुर में 49, चिड़ियापुर में 48, भोगपुर में 46 और श्यामपुर में 46 नियमों/शर्तों का उल्लंघन पाया गया | इसी के तहत पर्यावरण मंत्रालय ने उत्तराखंड वन विकास निगम को 23 फरवरी 2023 को “कारण बताओ नोटिस” नोटिस जारी किया है | इसपर मातृ सदन भी यह मांग करती है कि उत्तराखंड वन विकास निगम के निदेशक को निलंबित किया जाए, उनपर जांच बैठे | श्री सुन्दरम को तत्काल प्रभाव से निलंबित करके इन्होनें जो नियम का उल्लंघन किया है उसपर जांच बैठे | श्री सी रविशंकर को, जिन्होनें बंद पड़े हुए खनन को खुलवाने की कवायद की, इन्हें भी निलंबित किया जाए |
इस बीच हमनें अनेक बार उत्तराखंड वन विकास निगम को ब्लैकलिस्ट करने के लिए पत्र लिखा है | लेकिन धामी जी ने हमारे एक भी पत्र का संज्ञान नहीं लिया है | प्रधानमंत्री कार्यालय से हमारे पत्रों का जवाब आता है | प्रधानमंत्री कार्यालय ने हमसे फ़ोन करके पूछा कि आपकी शिकायत का निवारण हुआ या नहीं | लेकिन धामी जी के यहाँ से एक भी पत्र का जवाब नहीं आता है | ये धामी जी की कार्यप्रणाली है |
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आदेश दिनांकित 9 अक्तूबर 2018 में स्टोन क्रेशेर को गंगाजी से 5 किलोमीटर दूर करने की बात है, उसको भी अभी तक क्रियान्वित नहीं किया गया है | इसलिए इस आदेश का तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करवाते हुए स्टोन क्रेशर को 5 किलोमीटर बाहर करें अन्यथा मातृ सदन इसपर भी कार्यवाही करवाने हेतु बाध्य है |
एक और गंभीर बात सामने आई है | यहाँ उत्तराखंड में कुछ हरयाणा के भू-माफिया आकर यहाँ के सीधे-सादे लोगों से ज़मीन का सौदा करते हैं जिसके बाद अग्रीमेंट होता है | उस अग्रीमेंट में ऐसा कुछ लिखवा लेते हैं कि जब रजिस्ट्री करने का समय होता है तब ये लोग पूरे पैसे देते नहीं हैं और ज़बरदस्ती गुंडागर्दी के बल पर ये भू-माफिया उनसे रजिस्ट्री करवाते हैं | इन घटनाओं के पीछे भी यहाँ के पुलिस के मुखिया का सीधा हाथ है | यह सब उत्तराखंड को माफियाओं का गढ़ बनाने के लिए किया जा रहा है | यह सब हमें विश्वस्त सूत्रों से पता चला है | इसपर हम धामी जी को पत्र लिख रहे हैं कि वे तत्काल इनसब पर जांच बैठाएं | यदि वे इसपर जांच नहीं बैठते हैं, तब हमें यह कहना पड़ेगा कि इसमें धामी जी का भी हाथ है |
आप सभी जानते हैं खनन माफिया कितना प्रभावी होता है | उपजिलाधिकारी तक को ये लोग मरवा देते हैं और तहसीलदार पर गाडी चढवा देते हैं | और उत्तराखंड के पुलिस मुखिया श्री अशोक कुमार, जो माफियाओं के सरदार हैं, हमारी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं | जब हम सुरक्षा के सम्बन्ध में सूचनाधिकार में पूछते हैं कि सुरक्षा क्यूँ हटाई गयी, सुरक्षा क्यूँ नहीं बहाल की जाती है ? इससे पहले जिलाधिकारी ने कह दिया था कि सुरक्षा हम बहाल करेंगे | 14 दिन के लिए सुरक्षा आई भी, लेकिन इसके बाद कहाँ से दबाव आया और सुरक्षा को हटा लिया गया है | इसके बाद हम जहाँ कहीं निकलते हैं तो यहाँ का एलआईयु पीछे पड़ा रहता है कि कहाँ गए, क्या करने गए ताकि रास्ता में किसी घटना को अंजाम दिया जा सके | सुरक्षा के सम्बन्ध में एलआईयु बिना एक बार भी आश्रम आये गलत रिपोर्टिंग करती है | पुलिस दो लाइन में रिपोर्ट तैयार करती है कि सुरक्षा की संस्तुति नहीं की जाती है, लेकिन उस रिपोर्ट में न कोई आख्या संख्या है, न कोई डेट है | अभी आश्रम के चारों तरफ रेकी करने आते हैं | हमारे यहाँ कैमरे लगे हुए हैं | हम पुलिस को सीसीटीवी का फुटेज दे देते हैं | लेकिन पुलिस एक प्रकरण में भी जांच किये बिना यह रिपोर्टिंग देती है कि ये राहगीर थे, जबकि एक भी रिपोर्ट में किससे पूछताछ की गयी, गाडी नंबर क्या था, व्यक्ति कौन था, कहाँ का रहना वाला है, उसकी पृष्ठभूमि क्या है, इन सब बातों का उल्लेख नहीं है | इसलिए यदि यहाँ कोई घटना घटती है, तो इसके लिए श्री अशोक कुमार ज़िम्मेदार हैं | यहाँ के एसएसपी, थानाध्यक्ष, चौकी इन्चार्ज एक बार भी यहाँ नहीं आये हैं और उन्हें सब पता है कि यहाँ कोई खतरा नहीं है | इस ढंग की वस्तुस्थिति है |
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