
सिद्धार्थ त्रिपाठी। हरिद्वार मे वैसे तो कई देवी के मन्दिर है पर सुरेश्वरी देवी मन्दिर पर की बात ही निराली है। देवी दुर्गा का यह मंदिर हरिद्वार में बी.एच.ई.एल. स्थित राजा जी राष्ट्रीय उद्यान के शांत जगंलो में है। सुरेश्वरी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी भगवती को समर्पित है। हरिद्वार से सात किमी की दूरी पर रानीपुर के घने जंगलो में सिध्पीठ माँ सुरेश्वरी देवी सूरकूट पर्वत पर स्थित है। मंदिर का बड़ा ही पौराणिक महत्व है। इस मंदिर की गणना प्रसिद्ध सिध्पीठो में की जाती है , जिसका उल्लेख स्कन्दपुराण के केदारखंड में भी मिलता है। इस मंदिर कि यह मान्यता है कि श्रधा भाव से आकर दर्शन करने वालो के भक्तो के कष्टों को माँ सुरेश्वरी देवी सहज दूर कर देती है।
जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि माँ सुरेश्वरी के दर्शन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह भी मान्यता है कि माँ सुरेश्वरी देवी के दर्शन से चर्म रोगी एवम् कुष्ठ रोगी निरोगी हो जाते है। नवरात्रि में अष्टमी , नवमी और चतुर्दशी के दिन माँ के दर्शन का विशेष महत्व है , कहा जाता है कि इस दिन देवता भी माँ भगवती के दर्शन करने के लिए आते है।
सुरेश्वरी मंदिर मन्दिर के विषय में पुराणों मे कथा आती हैं कि राजा रजी के पुत्र से पराजित और स्वर्ग लोग से निष्कासित भयभीत इंद्र ने देवगुरु बृहस्पति के परामर्श से इसी स्थल पर माँ भगवती की स्तुति की थी। अर्थात इस मंदिर की मान्यता यह कि जब देवराज इंद्र राजा रजी के पुत्र से भयभीत होकर छुप गए तब बृहस्पति गुरु ने उन्हें विष्णु भगवान की स्तुति करने को कहा , भगवान विष्णु की स्तुति करने के बाद विष्णु जी ने कहा ” जो शक्ति है योगमाया वही तुम्हारी रक्षा कर सकती है , तुम उन्ही कि शरण में जाओ , वही मेघ रूप में वर्षा करती है , सूर्य रूप में तपती है , वायु रूप में शोषण करती है। इसी स्थान पर देवराज इंद्र की स्तुति से प्रसन्न होकर माँ भगवती नें इंद्र को दर्शन दिए थे। इंद्र का नाम सुरेश है इसीलिए माता का यहां नाम सुरेश्वरी पड़ा था।
राजा जी नेशनल पार्क में होने के कारण यह मन्दिर साल में दो बार भक्तो के लिए खोला जाता है। साल में पड़ने वाले दोनो नवरात्रओ पर यहा मां के भक्तो का जमावड़ा लगा रहता है।हरिद्वार रेलवे स्टेशन से ऑटो द्वारा इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।