धीरज शर्मा हरिद्वार।कनखल रामलीला परिषद के तत्वावधान में चल रही रामलीला में ताड़का वध की लीला का भव्य मंचन । कलाकारों द्वारा किया गया। रामलीला को देखने के लिए स्थानीय लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही थी।वन में असुरों के अत्याचार से परेशान महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को मांगने जाते हैं। राजा दशरथ बहुत अनमने ढंग से राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजते है।गुुरु के साथ जंगल जाते समय राम अहिल्या का उद्धार करते हैं। रामलीला का यह मंचन देख भक्त भाव विभोर हो गए। राम-लक्ष्मण वन में असुरों का संहार करते हैं। ताड़का को मारकर महर्षि के यज्ञ की रक्षा करते हैं।इसी के साथ ताड़का वध की लीला का शानदार मंचन किया गया। ताड़का पूरे दलबल के साथ श्रीराम का सामना करने पहुंची। मंच पर ताड़का व प्रभु राम का आमना-सामना हुआ। ताड़का ने मुनियों को बेहद परेशान किया। जिसका अंत राम ने अपने हाथों से किया।ताड़का वध होते ही पंडाल में उपस्थित भक्त प्रभु श्रीराम के जयकारे लगाते हैं। इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। श्रीराम की भूमिका में हिमांशु भारद्वाज, लक्ष्मण की भूमिका में करन भारद्वाज, विश्वामित्र की भूमिका में मनोज ,ताड़का की भूमिका में प्रतीक गुप्ता ने दर्शकों को प्रभावित किया।रंगमंच पर उपस्थित समाजसेवी बालेंदु शर्मा ने कहा कि कृष्ण हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं।जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों का आतंक हुआ तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं।संजय कौशिक ने बताया कि ईश्वर जाति, धर्म नहीं देखते, दान नहीं देखते सिर्फ भाव देखते हैं। ईश्वर न कभी वस्तु से प्रसन्न होते हैं न योग्यता से, न आयु से, न गुणों से, न बल से, न विद्या से, न रूप से, न रंग से ईश्वर केवल भक्त के भाव से प्रसन्न होते हैं।
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