धीरज शर्मा हरिद्वार।शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद नए उत्तराधिकारी की घोषणा पर हरिद्वार के दो संत आमने सामने आ गए है।लेकिन इस घोषणा को लेकर संत समाज आपस में एकमत नहीं है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी महाराज ने दूसरे संतों पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप भी लगाया है।उनका कहना है कि शंकराचार्य की नियुक्ति का अखाड़ों से कोई लेना देना नहीं है, न ही अखाड़े शंकराचार्य की नियुक्ति करते हैं। शंकराचार्य का चुनाव काशी विद्वत परिषद की ओर से किया जाता है। अन्य पीठ के शंकराचार्य रिक्त पीठ पर शंकराचार्य की नियुक्ति करते हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आश्रम अखाड़ों, मठ मंदिरों में रोजाना संपत्ति को लेकर गुरु-शिष्य और आम जनमानस में झगड़े होते हैं ।स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एवं स्वामी सदानंद सरस्वती उच्च कोटि के विद्वान महापुरुष हैं और वर्तमान में शंकराचार्य पद के योग्य हैं।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि जिन इस विषय से कोई लेना देना नहीं है, वे बेवजह मामले में कूद रहे हैं। यह विषय अखाड़ा परिषद का नहीं, संन्यासी अखाड़ों का है। संन्यासी अखाड़े अपने गुरु को मिलकर चुनते हैं। तभी वो शंकराचार्य कहलाते हैं। शंकराचार्य हम सभी संन्यासियों के गुरु होते हैं. रविंद्र पुरी ने साफ कहा कि हमसे बिना पूछे कोई भी हमारा गुरु बन जाएगा तो हम उसे कैसे मान लेंगे? जो साधु संत वहां जाकर भंडारा खाकर आए हैं, वो उनके पक्ष में बोलेंगे।उन्होंने फिर दोहराया कि संन्यासी अखाड़ा किसी भी हाल में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य नहीं मानेगा।
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September 7, 2024