
धीरज शर्मा हरिद्वार।नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा और अर्चना का विधान है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। ऐसा विश्वास है कि इनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करने वाले उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इनके चार हाथ हैं और ये कमल पुष्प पर विराजमान हैं। इनका वाहन सिंह है।इनके दाहिंनी ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र है और ऊपर वाले हाथ में गदा है। बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है और ऊपर वाले हाथ में शंख है। प्राचीन शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व नामक आठ सिद्धियां बताई गई हैं।ये आठों सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जा सकती हैं। हनुमान चालीसा में भी इन्हीं आठ सिद्धियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ‘अष्टसिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकी माता’।प्राचीनकाल में भगवान महादेव ने भी इन्हीं देवी की कठिन तपस्या कर इनसे ये आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं और इन्हीं देवी की कृपा से ही महादेव की आधी देह देवी की हो गई थी और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए थे।नवरात्र के नौवें दिन इनकी पूजा के बाद ही नवरात्र का समापन माना जाता है। इस दिन ही हिंदू परिवारों में कन्याओं का पूजन किया जाता है।