प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस नेता डा. हरक सिंह रावत का भी इस विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उनकी राजनीति में अब ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार जहां भाजपा ने सभी मिथक तोड़ दिये हैं वहीं दूसरी ओर अपने आपको शेरे गढ़वाल का दर्जा देने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का राजनैतिक भविष्य भी दांव पर लग गया है। पहले भाजपा से अपने लिए व अपनी बहु के लिए टिकट की मांग हरक सिंह रावत करते रहे। लेकिन जब भाजपा ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने कांग्रेस में जाने का मन बनाया तो भाजपा ने भी तुरंत एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता व छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। लेकिन यह सफर यहीं पर खत्म नहीं हुआ और कांग्रेस में आने के लिए हरक सिंह रावत को काफी पसीना बहाना पड़ा। बाद में कांग्रेस की शर्तों पर उन्हें शामिल किया गया। विधानसभा चुनाव के लिए हरक सिंह रावत ने दावा किया है कि वह अपने दम पर प्रदेश में कांग्रेस की 32 से 33 सीटें जिताने में सक्षम हैं लेकिन उनका यह दावा उन्हीं पर भारी पड़ गया कि वह लैंसडाउन सीट से अपनी बहु अनुकृति गुसांई रावत को भी नहीं जिता पाये।
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December 5, 2024