सिद्धार्थ त्रिपाठी। आज गंगा सप्तमी का दिन है।यह त्यौहार हरिद्वार में स्थानीय रूप से बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है।हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित ,व्यापारी, और अन्य लोग इस उत्सव को बड़ी धूम धाम से मनाते है ।हम आप को बता दे की वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष के सातवें दिन गंगा सप्तमी मनाते हैं। इस बार यह तिथि 8 मई यानी आज है। सनातन धर्म को मानने वालों में इस पर्व के प्रति काफी आस्था है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है। जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते, वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है। वहीं, इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। मान्यता है कि जिस दिन मां गंगा का प्राकट्य हुआ था उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी थी।पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महर्षि जह्नु जब तपस्या कर रहे थे, तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था। इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर अपने तप के बल से गंगा को पी लिया। हालांकि, बाद में अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। इसलिए ये गंगा के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है। तभी से गंगा का नाम जाह्नवी पड़ा। श्रीमद्भागवत महापुराण में गंगा की महिमा बताते हुए शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था तो गंगाजल की कुछ बूंदें पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान, अन्न और कपड़ों का दान, जप-तप और उपवास किया जाए तो हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं।हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 7 मई, शनिवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 8 मई, रविवार को शाम 5 बजे होगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि 8 मई को प्राप्त हो रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 8 मई को मनाई जाएगी। 8 मई को गंगा सप्तमी का पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक है। पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 41 मिनट तक रहेगा। गंगा सप्तमी पर गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और अनंत पुण्यफल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं। कायिक, वाचिक और मानसिक। इनके अनुसार किसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्रों में बताई हिंसा करना, पराई स्त्री के पास जाना, ये तीन तरह के कायिक यानी शारीरिक पाप हैं। वाचिक पाप में कड़वा और झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना और फालतू बातें करना। इनके अलावा दूसरों की चीजों को अन्याय से लेने का विचार करना, किसी का बुरा करने की इच्छा मन में रखना और गलत कामों के लिए जिद करना, ये तीन तरह के मानसिक पाप होते हैं। आज के दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप समाप्त हो जाते है।
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