
सिद्धार्थ त्रिपाठी। देवभूमि हरिद्वार अपने गंगा घाटों के लिए प्रसिद्ध है। आध्यात्मिक गंगा तट पर जहां शिव के अनेक सिद्ध स्थान स्थित हैं वही देवी मां की कई सिद्ध पीठें स्थित है जो देवी शक्ति को प्राप्त करने वाले साधकों के लिए साधना का प्रमुख केंद्र मानी जाती हैं।
हरिद्वार से दक्षिण दिशा में बहती हुई मां गंगा के तट पर अजीतपुर गांव में ऐसा ही देवी मां का एक अद्भुत, अलौकिक और रमणीय सिद्धस्थल है। जहां पर मां एक बाल कन्या के रूप में विराजमान हैं और देवी मां के इस स्वरूप को मां बालकुमारी सिद्ध पीठ मंदिर कहा जाता है, जो सतयुग काल से स्थापित सिद्ध पीठ मंदिर है।
मान्यता है कि सतयुग में देवी मां बाल कन्या के रूप में गंगा तट के भ्रमण पर निकली हुई थीं और हरिद्वार कनखल और उससे आगे गंगा के रूप को निखारती हुई चल रही थीं। देवी मां के बाल रूप को देखकर एक राक्षस उनका पीछा करने लगा। तब देवी मां ने उस राक्षस से पीछा छुड़ाने के लिए अजीतपुर गांव में गंगा के उस पावन स्थल को चुना जहां पर गंगा की विभिन्न धाराओं का संगम स्थल है। मां बालकुमारी गंगा के इस पावन तट पर अदृश्य हो गई। वह राक्षस देवी मां के बाल स्वरूप को ओझल होने के बाद नहीं देख पाया और देवी मां अजीतपुर गांव में गंगा के इस पावन तट पर मां बालकुमारी देवी के रूप में विराजमान हो गई।
रात को देवी मां ने गांव के कई बुजुर्गों को स्वप्न में दर्शन दिए, उन्हें अपने मां बाल कुमारी के रूप के बारे में बताया और गंगा के पावन तट पर अपने विराजमान होने की बात बताई। सुबह जब इस गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों ने आपस में देवी मां द्वारा दिए गए सपने की कहानी बताई तो वे गंगा के इस पावन तट पर गए और वहां पर उन्होंने मां की खोज की तो वहां पर मां की श्वेत रंग की प्रतिमा मां बालकुमारी देवी के रूप में मिली। आगे चलकर ग्रामीणों ने इस स्थान पर मां का मंदिर बनवाया और तब से गांव वालों ने मां बालकुमारी देवी को अपना ईष्ट मान लिया।
मां बाल कुमारी क्षेत्र के ग्रामीणों की ग्राम देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। अजीतपुर, नूरपुर पंजनहेडी, मिस्सरपुर, जिया पोता समेत कई गांवों की मां बालकुमारी ईष्ट देवी होने के साथ-साथ ग्राम देवी हैं। जब गांव में कोई भी शुभ कार्य होता है तो ग्रामीण सबसे पहले अपनी ईष्ट देवी और ग्राम देवी के रूप में मां बालकुमारी की पूजा अर्चना करते हैं।
घर में शादी, बच्चों के नामकरण, मुंडन और बच्चों के यज्ञोपवीत संस्कार के समय अपनी ईष्ट देवी मां बालकुमारी की पूजा अर्चना करते हैं। मां बालकुमारी सिद्ध पीठ के परिसर में कुछ ग्रामीण लोगों ने अपने देवताओं के स्मृति स्थल भी स्थापित किए हुए हैं। अजीतपुर गांव के लोगों का कहना है कि इस मंदिर की दूर-दूर तक मान्यता है। चैत्र और शारदीय नवरात्र में मां बालकुमारी मंदिर में देवी का विशाल मेला लगता है और नवरात्रि के बाद यहां पर देवी मां का विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूरदराज से ग्रामीण भाग लेते हैं।