
धीरज शर्मा।उत्तराखंड में चल रहे नेशनल गेम्स में रिजर्व पुलिस लाइन रोशनाबाद में कलारीपयट्टू खेल हुए। कलारीपयट्टू चुवाडुकल महिला वर्ग में आज उत्तराखंड की सिद्धी बड़ोनी ने रजत पदक जीता है। सिद्धी उत्तराखंड सचिवालय में संयुक्त सचिव संतोष बड़ोनी की बेटी हैं। कलारीपयट्टू दक्षिण भारत के केरल का पारंपरिक खेल है। जो युद्ध कला प्रदर्शन की श्रेणी में आता है। माना जाता है कि ये तीन हजार वर्ष पुराना खेल है। इसकी उत्पत्ति भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है। इसे केरल में सबसे अधिक खेला जाता है। ये खेल बेहद जोखिम भरा है। इस पर कुछ विवाद भी चल रहे हैं। संभवत: यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय खेलों में औपचारिक रूप से शामिल नहीं किया गया है।कलारीपयट्टू एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष संतोष बड़ोनी ने बताया कि यह आत्मरक्षा का भी खेल है। बेटियों के लिए ये खेल बहुत ही लाभदायक है। खेल के लिए अधिक मैदान की जरूरत भी नहीं रहती है। छोटी जगह में खेला जाता है। इस खेल को प्रदेश के हर स्कूल तक पहुंचाने का लक्ष्य है। आपको बताते चलें कि कलारीपयट्टू केरल की एक युद्ध कला है। इसे दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट माना जाता है। यह केरल के गौरव के रूप में जानी जाती है।कलारीपयट्टू शब्द दो मलयालम शब्दों से मिलकर बना है – कलारी और पयट्टू। कलारी का मतलब है व्यायामशाला या प्रशिक्षण स्थल, और पयट्टू का मतलब लड़ाई या व्यायाम करना है।कलारीपयट्टू की खासियतों में मन और शरीर के बीच तालमेल बिठाना सिखाना, तेल मालिश, चाट्टम (कूद), ओट्ट्म (दौड़), और मरिचिल (कलाबाज़ी) जैसी गतिविधियां, तलवार, कटार, भाला, मुग्दर, और धनुष-बाण जैसे हथियारों का इस्तेमाल करना सिखाना, देशी औषधि विद्या का भी ज्ञान सिखाना, शरीर के 64 मर्म बिंदुओं को ध्यान में रखकर हमला और बचाव करना सिखाना, जैसी गतिविधियां शामिल है।कलारीपयट्टू में कुछ युद्ध अभ्यासों को नृत्य में भी इस्तेमाल किया जाता है।