हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि शुभयोग में चैत्र नवरात्रि का आगमन होने जा रहा है। जिसमें नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा। इसके साथ वर्ष मां दुर्गा जी का आगमन नौका पर होगा। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। इसीलिए चैत्र नवरात्रि सभी के लिए फलदाई साबित होगी।
शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट हरिद्वार के संस्थापक स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। चैत्र माह और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहे हैं। जिसका समापन 30 मार्च गुरुवार में होगा। इस वर्ष मां दुर्गा जी का आगमन नौका पर होगा। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। उन्होंने कहा कि खास बात ये है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं इस समय में घटस्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध होगा। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ हो जाता है, चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी,
नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा। स्वामी रामभजन वन महाराज ने कहा कि चैत्र नवरात्र का आरंभ अबकी बार बुधवार को हो रहा है *इसी दिन से हिंदू नववर्ष भी आरंभ भी हो जाएगा। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होने जा रही है। इसी दिन से अनल तदुपरांत पिंगल नामक संवत भी शुरू होगा। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नौका होगा जो इस बात का संकेत है इस वर्ष खूब वर्षा होगी। आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ चैत्र नवरात्रि से ही होता है।