धीरज शर्मा।उत्तराखंड में जल्द समान नागरिक संहिता लागू होने वाली है। इससे संबंधित विधेयक मंगलवार को सदन में प्रस्तुत किया गया है। कैबिनेट पहले ही समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को मंजूरी दे चुकी है। सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित विधेयक में लिव इन को लेकर सख्त प्रविधान किए गए हैं। अब लिव इन के रूप में उत्तराखंड में रहना आसान नहीं होगा। प्रदेश में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर नियम सख्त किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत लिव इन में रहने वाले युगल का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। अनिवार्य पंजीकरण न करने पर छह माह का कारावास या 25 हजार रुपये दंड अथवा दोनों का प्रविधान होगा।प्रस्तावित विधेयक में लिव इन की परिभाषा भी स्पष्ट की गई है। कहा गया है कि केवल एक व्यस्क पुरुष व व्यस्क महिला ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे। जबकि वे पहले से अविवाहित हों अथवा किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न रह रहे हों। इसके साथ ही निषेध संबंधों की डिग्री में न आते हों। इस डिग्री में नजदीकी रिश्तेदारों के साथ संबंध निषेध हैं।लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को साथ में रहने के लिए अनिवार्य रूप से पंजीकरण एक रजिस्टर्ड वेब पोर्टल पर कराना होगा। पंजीकरण करने के पश्चात उसे रजिस्ट्रार द्वारा एक रसीद दी जाएगी। इसी रसीद के आधार पर वह युगल किराये पर घर, हास्टल अथवा पीजी में रह सकेगा। पंजीकरण करने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार को उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी।आपको बताते चलें कि लिव इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उसी युगल की जायज संतान माना जाएगा। इस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे। लिव इन में रहने वाले यदि संबंध विच्छेद करते हैं तो इसका पंजीकरण भी उन्हें अनिवार्य रूप से कराना होगा। ऐसा न करने पर कारावास या आर्थिक दंड अथवा दोनों की व्यवस्था की गई है।
Related Stories
December 22, 2024
December 22, 2024
December 22, 2024