धीरज शर्मा।उत्तराखंड में गंगा की लहरों पर रोमांच का सिलसिला इस बार समय से पहले ही थम गया है।इसकी वजह मुनिकी रेती कौड़ियाला इको टूरिज्म क्षेत्र में गंगा का जलस्तर बढ़ने और फ्लड आना है।जिसकी वजह से रिवर राफ्टिंग को बंद कर दिया गया है। यह कदम पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया गया है।
गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति टिहरी के सचिव जसपाल चौहान ने बताया कि उत्तराखंड में मानसून दस्तक दे चुका है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश हो रही है।बारिश की वजह से गंगा का जलस्तर दिनों दिन तेजी से बढ़ रहा है।गंगा जल में फ्लड भी आ रहा है।ऐसी स्थिति में गंगा में राफ्टिंग करना खतरे से खाली नहीं है।
पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए आज यानी 24 जून से गंगा में राफ्टिंग को बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि हर साल 30 जून को गंगा में राफ्टिंग का अंतिम दिन होता था और 1 जुलाई से गंगा में राफ्टिंग कराने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाता था।इस साल बारिश और गंगा में बढ़े जलस्तर को देखते हुए हफ्ते भर पहले राफ्टिंग को बंद किया गया है। उन्होंने बताया कि सितंबर महीने में गंगा के जलस्तर को देखने के बाद टेक्निकल टीम जब हरी झंडी देगी, तब फिर से गंगा में राफ्टिंग का संचालन शुरू कराया जाएगा।
राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट ने बताया कि गंगा नदी राफ्टिंग प्रबंधन समिति के सचिव जसपाल चौहान के आदेश मिल चुके हैं। इसलिए सभी कंपनियों ने गंगा में आज राफ्ट नहीं उतारी।हजारों पर्यटक राफ्टिंग करने के लिए इको टूरिज्म जोन में पहुंचे हुए हैं।जो राफ्टिंग नहीं होने की वजह से निराश होकर वापस लौट रहे हैं।उन्होंने बताया कि इको टूरिज्म जोन में 262 कंपनियां 576 राफ्ट से देश विदेश के पर्यटकों को रिवर राफ्टिंग करने का काम कर रही है।फिलहाल, राफ्टिंग बंद होने से हजारों राफ्टिंग संचालक अपने घर बैठ गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार राफ्टिंग करने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग 50 फीसदी कम रही है। जम्मू कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला, उसके बाद भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति और ऋषिकेश के आसपास ट्रैफिक जाम बड़ी वजह रही है।
