धीरज शर्मा।उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर भाजपा ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। सभी निकायों में पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर रहे हैं। पर्यवेक्षक निकायों में दावेदारी करने वाले कार्यकर्ता और दावेदारों की भी नब्ज टटोल रहे हैं। उत्तराखंड के 11 नगर निगमों में महापौर, 43 नगर पालिका परिषदों और 46 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पदों पर चुनाव होने हैं।निकाय चुनाव में जिताऊ प्रत्याशी की तलाश के लिए फील्ड में उतारे गए पर्यवेक्षकों से नामों के पैनल मिलने के बाद भाजपा सर्वे कराएगी। इस सर्वे के जरिये वह पैनल में शामिल किए गए नामों का दमखम परखेगी। यानी प्रत्याशी तय करने के पैमाने में सर्वे की रिपोर्ट भी अहम होगी।पर्यवेक्षकों को 21 दिसंबर यानि आज तक प्रदेश संगठन को पैनल सौंपने हैं। फिलहाल निकाय चुनाव में दमदार प्रत्याशी उतारने के लिए भाजपा ने कसरत तेज कर दी है। पार्टी के पर्यवेक्षकों की टीमें फील्ड में उतर कर स्थानीय पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी में जुट गई हैं।पर्यवेक्षकों को नगर निगमों में मेयर और नगर पालिका व नगर पंचायतों में अध्यक्षों के वार्ड सदस्यों के लिए तीन-तीन नामों के पैनल तैयार करने हैं, लेकिन कुछ नगर निगमों और नगर पालिकाओं में टिकट के लिए दावेदारों की लंबी कतार हैं। ऐसे में पर्यवेक्षकों के लिए तीन नामों पर रायशुमारी और सहमति बनाना आसान नहीं होगा।ऋषिकेश, हरिद्वार, मसूरी, हल्द्वानी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा समेत कई निकायों में पार्टी से जुड़े लोगों ने मेयर और अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज की हैं। ऋषिकेश सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से यहां पर्यवेक्षकों को दमदार दावेदारों की तलाश करने के लिए खासा पसीना बहाना पड़ सकता है।यही हाल हरिद्वार और हल्द्वानी सीट पर है, जहां भाजपा कार्यकर्ता ही मेयर सीटों के सामान्य होने की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन यहां सीटें आरक्षित हैं और नए दमदार चेहरों की तलाश होनी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पर्यवेक्षकों से पैनल प्राप्त होने के बाद प्रदेश नेतृत्व अपने स्तर पर भी फीडबैक लेगा। फीडबैक लेने का एक जरिया सर्वे होगा। आपको बताते चलें कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने निकाय चुनावों में तय आरक्षण पर सार्वजनिक बयानबाजी से बचने की सलाह दी है।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार ने सभी वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की है।लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। किसी को भी आरक्षण के संबंध में आपत्ति है, तो इसके लिए तय व्यवस्था के तहत कार्रवाई करें। सुर्खियों में रहने के लिए की जारी बयानबाजी उचित नहीं है।
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