हरिद्वार। मोटे अनाजों को लेकर वैज्ञानिक रिसर्च हुई और इसके गुणों के बारे में जाना गया, तब आजकल यह मोटा अनाज सुपरफूड बन गया है। यहां तक कि बाजार में इसकी कीमत 200-300 रुपये किलो हो गई है। दरअसल, कुटकी या फॉक्सटेल जैसा मोटा अनाज सेहत का खजाना बन गया है।
इसमें शक्तिशाली पोषक तत्व भरे होते हैं। सिर्फ एक कप कुटकी के दानों में 207 कैलोरी होती है। इसके अलावा 41 ग्राम कार्बोहाइड्रैट, 2.2 ग्राम फाइबर, 6 ग्राम प्रोटीन, 1.7 ग्राम फैट के अलावा फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, फॉलेट, आयरन जैसे तत्व पाए जाते हैं। कुटकी में लगभग सभी तरह के आवश्यक एमिनो एसिड होते हैं जो हमें कई बीमारियों से बचाते हैं। आइए जानते हैं कि पहले खराब माने जाने वाले इस दानेदार कुटकी के कितने फायदे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुटकी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर और नॉन-स्टार्ची पोलीसैकराइड होता है। इसमें बिना पचने वाले कार्बोहाइड्रैट होता है ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
कुटकी का ग्लाइसीमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। इसका मतलब है कि ब्लड शुगर तेजी के साथ नहीं बढ़ेगा। मिलेट को लेकर कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि कुटकी ब्लड शुगर कर करती है। कुटकी में सॉल्यूबल फाइबर होता है। यह चिपचिपा होता जो बैड कोलेस्ट्रॉल को अपने में चिपका लेता है और फिर खून के सहारे शरीर से बाहर कर देता है। इस संबंध में चूहों पर हुए अध्ययन में यह साबित हुआ है। वहीं कुटकी या मिलेट्स में जो प्रोटीन पाया जाता है वह भी कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। कुटकी या मिलेट्स में सॉल्यूबल फाइबर होता है जो पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
एक अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों को सीलिएक बीमारी है, उसके लिए कुटकी बहुत फायदेमंद है। सिलिएक छोटी आंत से संबंधित बीमारी है जिसमें ग्लूटेन वाला फूड खाने के बाद आंत की लाइनिंग खराब होने लगती है। इसलिए यह सिलिएक डिजीज के लिए बहुत फायदेमंद होता है। कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि कुटकी या मिलेट्स में एंटी-कार्सिनोजिन गुण पाया जाता है। यानी यह कैंसर के जोखिम को कम करता है। अध्ययन के मुताबिक खासकर यह कोलोरेक्टर कैंसर के जोखिम को कम करता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि कुटकी या अन्य मोटे अनाज भरपूर पोषक तत्वों से भरे होते हैं लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से इसका नुकसान भी हो सकता है। दरअसल, इसमें कुछ एंटीन्यूट्रिटेंट्स कंपाउड होते हैं यानी कुछ पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित नहीं होने देते।
आप जब कुटकी को ज्यादा खाएंगे तो इसमें जो पोषक तत्व होगा वह तो मिलेगा लेकिन दूसरे फूड से जो आपको पोषक तत्व मिले हैं, उनका अवशोषण कम होगा क्योंकि इसमें फायटिक एसिड होता है जो पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम के अवशोषण को कम कर देता है। बता दें कि कुटकी, कंगनी, कोदो, मड़ुवा जैसे मोटे दाने वाले फसल कुछ दशक पहले तक ज्यादातर किसान जानवरों को चारा के रूप में खिलाते थे।
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